Fibroid Uterus

आज सरिताजी चेकअप के लिये आई थी I सामाजिक तौर पर काफी सम्मानित लेडी है I काफी बिजी रहती है ! आमतोर फ़ोन पर हम एक दूसरे का हालचाल जान लेते थे I उन्हें अपने यहाँ पेंशट रूप में देखकर में चकित थी पर उनके जैसी हस्ती का चेहरा जो की हमेशा आभा मंडित रहता , इस तरह उतरा देखकर मुझे अच्छा नहीं लगा I

के हुवा सरिताजी सब ठीक तो है ? कुछ न कहते हुऐ उन्होंने सोनोग्राफी की रिपोर्ट मेरे हाथो में थमा थी I फिर सेरियस्ली बोली , देखीये ना मुझे कैंसर हो गया है , और शायद बड़ी तेजी से फैल रहा है ! मैने रिपोर्ट देखी , रिपोर्ट थी , मल्टीप्ल युटेरिने फ़िब्रोइड I मैने उन्हें आराम से बैठने को कहा और फिर विस्तारपूर्वक फ़िब्रोइड के बारे में बताया , वहीं जानकारी यहाँ पर प्रस्तुत है I

क्या है गर्भाशय फाइब्रॉएड – What is Fibroids

  • यह गर्भाशय में मांसपेशियों व कोशिकाओं की एक या एक से ज्यादा गांठ होती हैं। यह गर्भाशय की दीवारों पर पनपने वाला एक प्रकार का ट्यूमर होता है। इसे लियम्योमा या फिर म्योमा कहा जाता है।
  • फाइब्रॉएड एक या एक से ज्यादा ट्यूमर के तौर पर विकसित होता है।
  • ये ट्यूमर आकार में सेब के बीज से लेकर अंगूर जितने बड़े हो सकते हैं। असामान्य स्थिति में इनका आकार अंगूर से भी बड़ा हो सकता है।
  • यूट्रस फाइब्रॉएड (uterus fibroid) का इलाज पूरी तरह से महिला में नजर आ रहे लक्षणों पर निर्भर करता है

गर्भाशय फाइब्रॉएड कारण – Causes of Fibroids

फाइब्रॉएड होने के कई कारण हो सकते हैं
  • हार्मोंस : शरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन हार्मोंस की मात्रा अधिक होने पर भी गर्भाशय फाइब्रॉएड हो सकता है।
  • आयु : फाइब्रॉएड प्रजनन काल के दौरान विकसित होते हैं। खासतौर पर 30 की आयु से लेकर 40 की आयु के बीच या फिर रजनोवृत्ति शुरू होने तक इसके होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। माना जाता है कि रजनोवृत्ति शुरू होने के बाद ये कम होने लगते हैं।
  • आनुवंशिक : अगर परिवार में किसी महिला को यह समस्या रही है, तो आशंका है कि आगे की पीढ़ी में से किसी अन्य को इसका सामना करना पड़ सकता है। अगर आपकी मां को यह समस्या रही है, तो आपको यह होने का खतरा तीन गुना तक बड़ जाता है।
  • मोटापा : अगर किसी महिला का वजन अधिक है, तो उसमें फाइब्रॉएड होने की आशंका अन्य महिलाओं के मुकाबले तीन गुना तक ज्यादा होती है।
  • असंतुलित भोजन : रेड मीट या फिर जंक फूड ज्यादा खाती हैं
  • विटामिन-डी : शरीर में विटामिन-डी की कमी होने

गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण – Symptoms of Fibroid

वैसे तो इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन फाइब्रॉएड से ग्रस्त कुछ महिलाओं में इस तरह के परिवर्तन दिखाई दे सकते हैं
  • अत्यधिक रक्तस्राव और पीरियड्स के दौरान अहसनीय दर्द होना।
  • एनीमिया यानी शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी आना।
  • पेट के निचले हिस्से यानी पेल्विक एरिया में भारीपन महसूस होना।
  • पेट के निचले हिस्से का फूलना।
  • बार-बार पेशाब आने का अहसास होना।
  • यौन संबंध बनाते समय दर्द होना।
  • कमर के निचले हिस्से में दर्द होना।
  • प्रजनन क्षमता में कमी यानी बांझपन, बार-बार गर्भपात होना, गर्भावस्था के दौरान operative delivery का खतरा छह गुना तक बढ़ना।

गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रकार – Types of Fibroids

गर्भाशय में फाइब्रॉएड कहां हैं, उसके आधार पर इनका वर्गीकरण किया जाता है।
  • 1. सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड : यह गर्भाशय में मांसपेशियों की परत के बीच विकसित होते हैं। इसके कारण मासिक धर्म के दौरान दर्द के साथ अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव होता है। साथ ही गर्भधारण करने में भी परेशानी हो सकती है।
  • 2. इंट्राम्युरल फाइब्रॉएड : यह गर्भाशय की दीवार पर पनपने वाला आम फाइब्रॉएड होता है। इसके कारण गर्भाशय फूल जाता है और बड़ा नजर आने लगता है। साथ ही दर्द व रक्तस्राव होता है और गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।
  • 3. सबसेरोसल फाइब्रॉएड : यह गर्भाशय के बाहरी दीवार पर विकसित होता है। यह आंत, रीढ़ की हड्डी और ब्लैडर पर दबाव डालता है। इसके कारण श्रोणी में तेज दर्द होता है।
  • 4. सर्वाइकल फाइब्रॉएड : यह मुख्य तौर पर गर्भाशय की गर्दन पर पनपता है।
  • 5. इंट्रालिगमेंटस फाइब्रॉएड : यह गर्भाशय के साथ जुड़े टिश्यू में विकसित होते हैं। इससे मासिक धर्म अनियमित हो जाते हैं।

गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज –

  • गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपमें इस बीमारी के लक्षण किस प्रकार के नजर आ रहे हैं। अगर आपको फाइब्रॉइड है, लेकिन कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, तो इलाज की जरूरत नहीं होती। फिर भी डॉक्टर से नियमित रूप से जांच करवाते रहें।
  • वहीं, अगर आप रजोनवृत्ति के पास हैं, तो आपके फाइब्रॉएड सिकुड़ने लगते हैं। इसके अलावा, अगर आपमें फाइब्रॉएड के लक्षण नजर आते हैं, तो उनका इलाज बीमारी की स्थिति के अनुसार किया जाता है।
  • इलाज से पहले डॉक्टर निम्नलिखित बातों पर गौर करते हैं :
    1. आपकी उम्र
    2. आपका स्वास्थ्य
    3. आपके लक्षण कितने गंभीर हैं
    4. फाइब्रॉएड किस जगह पर हैं
    5. उनका प्रकार और साइज क्या है
    6. क्या आप गर्भवती हैं या फिर होने की योजना बना रही हैं

फाइब्रॉएड के इलाज :

A). दवा आधारित इलाज - लक्षणों के अनुसार डॉक्टर आपको कुछ दवाएं दे सकते हैं

1. दर्द निवारक दवा : हल्का या कभी-कभी होने वाले दर्द में ओवर-द-काउंटर या फिर कोई अन्य दवा दी जा सकती है।

2. गर्भनिरोधक गोलियां : इन दवाइयों के सेवन से अत्यधिक रक्तस्राव और दर्दनाक मासिक धर्म से राहत मिलती है

3. प्रोजेस्टिन-रिलीजिंग इंट्रायूटरिन डिवाइस (IUD) : हालांकि, इस दवा को लेने से अत्यधिक रक्तस्राव और दर्द से राहत मिल सकती है, लेकिन फाइब्रॉएड का इलाज करने में सक्षम नहीं है

4. गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट (GnRHa) : रसौली उपचार के तौर पर यह दवा लेने से शरीर में वो हार्मोंस बनने बंद हो जाते हैं, जो ओवलेशन और पीरियड्स का कारण बनते हैं। साथ ही यह दवा फाइब्रॉएड के आकार को भी छोटा करने में सक्षम है। हालांकि, यह दवा लाभकारी है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। इसे लेने से रजोनवृत्ति होने जैसा आभास हो सकता है और हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, डॉक्टर सर्जरी से पहले फाइब्रॉएड का आकार छोटा करने के लिए या फिर एनीमिया का इलाज करने के लिए यह दवा देते हैं। •

5. एंटीहार्मोनल एजेंट या हार्मोन मॉड्यूलेटर : इस दवा में यूलिप्रिस्टल एसीटेट, मिफेप्रिस्टोन और लेट्रोजोले शामिल होते हैं, जो फाइब्रॉएड को विकसित होने से रोक सकते हैं या उनकी गति को धीमा कर सकते हैं। साथ ही रक्तस्राव को भी कम कर सकते हैं।

ये दवाएं फाइब्रॉएड से अस्थाई तौर पर ही राहत दिला सकती हैं। जैसे ही दवाओं को लेना बंद किया, फाइब्रॉएड फिर से हो सकता है। साथ ही इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जो कभी-कभी गंभीर रूप ले सकते हैं।

B). सर्जरी

1. एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टोमी : डॉक्टर पेट में कट लगाकर गर्भाशय को बाहर निकाल कर फाइब्रॉएड को हटाते हैं।

2. वजाइनल हिस्टेरेक्टोमी : डॉक्टर पेट मे कट लगान क जगह योन क रास्त गर्भाशय क बाहर निकालत हैं और फाइब्रॉएड को हटाते हैं।

3. लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टोमी : यह सर्जरी कुछ मामलों में प्रयोग की जाती है।

4. रोबोटिक हिस्टेरेक्टोमी : इन दिनों यह सर्जरी तेजी से प्रचलित हो रही है। इसमें डॉक्टर एक रोबोटिक आर्म के जरिए सर्जरी करते हैं। अन्य सर्जरी के मुकाबले इसमें पेट और गर्भाशय में छोटा-सा कट लगाया जाता है। इसलिए, मरीज तीन से चार हफ्ते में ठीक हो जाता है।

5. मायोमेक्टोमी : इस सर्जरी में गर्भाशय की दीवार से फाइब्रॉएड को हटाया जाता है। अगर आप भविष्य में गर्भवती होने की सोच रही हैं, तो डॉक्टर सर्जरी के लिए इस विकल्प को चुन सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि यह सर्जरी हर प्रकार के फाइब्रॉएड के लिए उपयुक्त नहीं है। डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार इसे करने या न करने का निर्णय लेते हैं।

6. हिस्टेरेक्टोमी रिसेक्शन ऑफ फाइब्रॉएड : इसमें फाइब्रॉएड को हटाने के लिए पतली दूरबीन (हिस्टेरोस्कोपी) और छोटे सर्जिकल उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। इसके जरिए गर्भाशय के अंदर पनपन रहे फाइब्रॉएड को निकाला जाता है। जो महिलाएं भविष्य में गर्भवती होना चाहती हैं, उनके लिए यह सर्जरी सबसे उपयुक्त है। इसमें दूरबीन को योनी के जरिए गर्भाशय तक ले जाया जाता है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का चीरा और टांके नहीं लगते और आप उसी दिन वापस घर जा सकते हैं।

7. हिस्टेरेक्टोमी मोरसेलेशन ऑफ फाइब्रॉएड : यह आधुनिक तकनीक है, जिसमें हिस्टेरोस्कोपी को ग्रीवा के रास्ते गर्भाशय के अंदर तक ले जाया जाता है और फाइब्रॉएड टिशू को काटकर बाहर निकाला जाता है।

8. यूटरिन आर्टरी एम्बोलिजेशन (UAE) : हिस्टेरेक्टोमी व मायोमेक्टोमी की जगह विकल्प की तौर पर इसे चुना जा सकता है। जिन महिलाओं का फाइब्रॉएड आकार में बड़ा है, उनके इलाज के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है। एक छोटी-सी ट्यूब (कैथेटर) को टांगों की रक्त वाहिकाओं के जरिए शरीर में प्रविष्ट किया जाता है और फिर एक तरल पदार्थ को अंदर डाला जाता है। इस तरल पदार्थ की मदद से फाइब्रॉएड को सिकोड़ा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को एक्स-रे मशीन से नियंत्रित किया जाता है। इस उपचार के बाद गर्भधारण करना संभव है

9. एंडोमेट्रियल एब्लेशन : जिस महिला में फाइब्रॉएड का आकार छोटा होता है, उसके लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें गर्भाशय की परतों को हटाया जाता है। इसका प्रयोग अत्यधिक रक्तस्राव को कम करने के लिए भी किया जा सकता है

10. एमआरआई : एमआरआई स्कैन करके पता लगाया जाता है कि फाइब्रॉएड कहां है। फिर त्वचा के जरिए सुई को शरीर के अंदर डाला जाता है और इसी सुई के माध्यम से फाइबर-ऑप्टिकल-केबल डाली जाती है। इस केबल के जरिए लेजर किरण फाइब्रॉएड तक पहुंचती है और उसे सिकोड़ देती है